Tuesday, June 18, 2013

परम गोपनीय (हिंदी कविता)



एक बात
समझ नहीं आई
बुलाई गयी बैठक
जंगल की राजधानी में
बेहद संवेदनशील मुद्दा
बहुत गोपनीय बैठक
मीटिंग में बैठे
जंगल के
ख़ुफ़िया प्रमुख
जांच प्रमुख
क़ानून व्यवस्था सचिव
और एक
पूर्व जांच प्रमुख
यानि मसला
महा गोपनीय
पर पूरी बात
पूरी की पूरी बात
किसने क्या कहा
जो कहा क्यों कहा
और आगे क्या होगा
सब अखबारों में
सारे अख़बारों में
सवाल यह
यदि इतनी ख़ुफ़िया मीटिंग
सारे जंगल के सामने
इस तरह खुलेआम
फिर गोपनीयता की जरूरत क्या
और बार-बार
बिलावजह
आरटीआई का सहारा क्यों?

अमिताभ

(हाल की एक उच्चस्तरीय सरकारी मीटिंग की खबरों को पृष्ठभूमि बनाते हुई लिखी गयी है यह कविता)

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