Thursday, May 22, 2014

FIR registered in FB Kidney racket case

FIR registered in FB Kidney racket case

FIR No 333/2014 under sections 270, 336, 403, 413, 414, 420, 467, 468, 511 IPC along with 19, the Transplantation of Human Organs Act 1994 presented by me on 13 May to police station Gomtinagar, Lucknow against an alleged Kidney racket on Facebook has been registered today. SI Indra Pal Singh is the investigating officer.

In the FIR, I had narrated facts about a friend Pratik Jain from Noida having sent me a Facebook message regarding one Anurag Joshi contacting him for sale of kidney at 3.5-4 lakh rupees.  I also talked to that person on phone who told me that I would get around 3 lakhs for my kidney. For this I would have to come to Pune and from there to Iran, the entire arrangement being made at his end.

He asked me about my age, blood group and passport and told me that the money will be given in advance. He also told me that since my age is slightly on upper hand (45), hence it will take around 10 days to get a receptor but if I had a young person in contact, his kidney can be sold immediately.

When no FIR was registered by the police station, I had personally met Praveen Kumar, SSP Lucknow on 15 May who assured me registration of FIR by evening.

The matter kept pending despite SSP’s assurance after which I wrote to DGP not only to get the FIR registered but to also take action against concerned police officers having defied the Supreme Court order of mandatory registration of FIR.


फेसबुक किडनी रैकेट केस- एफआईआर दर्ज   

मेरे द्वारा फेसबुक किडनी रैकेट के सम्बन्ध में 13 मई को थानाध्यक्ष, गोमतीनगर को दिए गए प्रार्थनापत्र पर आज मुक़दमा संख्या 333/2014 धारा 270, 336, 403, 413, 414,  420, 467, 468, 511 आईपीसी व धारा 19, द ट्रांस्प्लानटेशन ऑफ़ ह्यूमन ओर्गंस एक्ट 1994 दर्ज किया गया. उप निरीक्षक इन्द्रपाल सिंह इसके विवेचक हैं.

एफआईआर में मैंने बताया था कि मेरे परिचित नोयडा के प्रतीक जैन ने मुझे फेसबुक पर एक सन्देश भेजा था कि उन्हें अनुराग जोशी नामक व्यक्ति फेसबुक पर किडनी बेचने के लिए संपर्क कर रहा है इसके लिए करीब 3.5-4 लाख रुपये दे रहा है. मैंने भी उस आदमी से फोन पर बात की तो उसने कहा कि मुझे किडनी के लिए करीब तीन लाख रुपये मिलेंगे. उसने यह बताया कि मुझे इसके लिए पुणे आना पड़ेगा और वहां से ईरान जाना पड़ेगा, जो पूरी व्यवस्था उसी की तरफ से होगी.

उसने मुझसे पासपोर्ट, ब्लड ग्रुप और उम्र के बारे में पूछा. यह भी कहा कि चूँकि मेरी उम्र थोड़ी अधिक है अतः किडनी खरीदने वाला व्यक्ति मिलने में करीब दस दिन लग जायेंगे पर यदि मेरे पास कोई कम उम्र का आदमी हो तो उसका किडनी तत्काल बिक जाएगा.

जब थाने पर एफआईआर दर्ज नहीं हुआ तो मैं 15 मई को प्रवीण कुमार, एसएसपी लखनऊ से व्यक्तिगत रूप से मिला था जिन्होंने शाम तक एफआईआर लिख जाने का आश्वासन दिया.  

एसएसपी के आदेश के बाद भी इतने संवेदनशील मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुआ और मैंने डीजीपी, उत्तर प्रदेश को एफआईआर दर्ज कराने और सर्वोच्च न्यायालय के अनिवार्य एफआईआर के आदेश की अवहेलना के लिए उत्तरदायी पुलिस अफसरों पर कार्यवाही करने की मांग की.   

Copy of FIR--


सेवा में,
थानाध्यक्ष,
थाना गोमतीनगर,
लखनऊ
विषय- एक किडनी रैकेट के सम्बन्ध में एफआईआर दर्ज कर अग्रिम कार्यवाही हेतु

महोदय,
      कृपया निवेदन है कि मैं अमिताभ ठाकुर निवासी
5/426, विराम खंड, गोमती नगर, लखनऊ हूँ. मेरे एक परिचित श्री प्रतीक जैन, जो मूल रूप से आगरा के रहने वाले हैं और वर्तमान में एचसीएल टेक्नोलोजिज,  नोयडा में कार्यरत हैं, ने मुझे फेसबुक पर एक सन्देश भेजा था कि उन्हें कोई व्यक्ति किडनी बेचने के लिए संपर्क कर रहा है. मैंने श्री जैन से पूरी बात बताने को कहा तो श्री जैन ने अपने ईमेल Pratik_Jain@hcl.com से मेरे ईमेल amitabhthakurlko@gmail.com पर अपनी पूरी बातचीत का ब्यौरा भेजा जो उनका और किडनी खरीद-फरोख्त में लगे उस आदमी के बीच हुआ था. मैं इस बातचीत के प्रमुख अंश इस एफआईआर के साथ संलग्न कर रहा हूँ. बातचीत में जो मुख्य बात थी वह यह कि उस आदमी ने अपना नाम अनुराग जोशी बताया.  उस व्यक्ति ने अपना फोन नंबर 098842-26398 दिया. बातचीत के क्रम में यह तय हुआ कि जोशी श्री जैन को उनके किडनी के लिए करीब 3.5-4 लाख  रुपये देगा लेकिन इसके लिए श्री जैन के पास पासपोर्ट होना चाहिए. जोशी ने श्री जैन को आईडीबीआई बैंक का एकाउंट नंबर 0031104000242943 जो किसी Aakiri Ashok के नाम से हैं तथा जिस ब्रांच का आईएफएससी कोड IBKL0000031 है, भी बताया जिस पर पैसे की लेन-देन होने की बात कही गयी.

श्री जैन से ये बातें जानने के बाद मैंने भी कल
12/05/2014 को अपने मोबाइल नंबर 094155-34526 से पहले करीब 12.00 बजे, फिर करीब 12.40 बजे, 03.45 बजे शाम और 08.40 बजे रात में कथित अनुराग जोशी से बात की जहां मैंने अपना नाम राजीव सिंह तथा स्थान लखनऊ बताया.

उस व्यक्ति ने मुझे संक्षेप में यह कहा कि मुझे अपना किडनी बेचने के बदले करीब तीन लाख रुपये मिलेंगे. उसने यह बताया कि मुझे इसके लिए पुणे आना पड़ेगा और वहां से ईरान जाना पड़ेगा. उस व्यक्ति ने मुझे कहा कि मुझे यहाँ से पुणे और फिर पुणे से ईरान जाने के लिए सब व्यवस्था उसी की तरफ से होगी. उसने मुझे कहा कि पैसे पहले ही मिल जायेंगे. उसने मुझसे भी पासपोर्ट के बारे में पूछा. उसमे मेरी उम्र पूछी. उस व्यक्ति से मेरी जो बात हुई वह मेरे मोबाइल में रिकॉर्ड है. रात में हुई बात में उसने कहा कि चूँकि मेरी उम्र थोड़ी अधिक है अतः किडनी खरीदने वाला व्यक्ति मिलने में करीब दस दिन लग जायेंगे पर यदि मेरे पास कोई कम उम्र का आदमी हो तो उसका किडनी तत्काल बिक जाएगा.
इन तथ्यों से प्रथमद्रष्टया ऐसा लगता है कि यह व्यक्ति, जो अपना नाम कथित रूप से अनुराग जोशी बता रहा है, एक बड़े अवैध किडनी तथा अंग-प्रत्यारोपण गैंग से सम्बंधित है और फेसबुक तथा अन्य सोशल मेडी के माध्यम से लोगों से संपर्क कर यह कार्य कर रहा है, जो पूरे देश और इसके ख़ास कर गरीब और असहाय देशवासियों के लिए अत्यंत ही खतरनाक और घातक है. अतः उसका यह कृत्य प्रथमद्रष्टया आईपीसी की धारा 270 (परिद्वेषपूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण संभाव्य हो), 336 (किसी का जीवन वैयक्तिक क्षेम और संकटापन्न होना), 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग), 413, (चुराई गयी संपत्ति का व्यापार करना), 414 (चुराई गयी संपत्ति छिपाने में सहायता करना),  420 (छल और संपत्ति परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति, बिल आदि की कूटरचना), 468 (छल के प्रयोजन से कूटरचना) सहपठित धारा  511 आईपीसी (अपराधों के प्रयत्न के लिए दंड) एवं धारा 19, द ट्रांस्प्लानटेशन ऑफ़ ह्यूमन ओर्गंस एक्ट 1994 का अपराध बन रहा है, क्योंकि किडनी बेचे जाने का पैसा दिया जाना और किडनी को एक मूल्यवान संपत्ति मान कर उसके बदले धन दिए जाने का उपक्रम स्वतः ही मानव किडनी को आईपीसी की धारा 22 में परिभाषित जंगम संपत्ति बना देता है.
निवेदन है कि मैंने वे सभी तथ्य आपको बताये हैं जो वर्तमान में मेरे पास हैं. साथ ही यह भी स्पष्ट है कि यह एक अत्यंत ही संवेदनशील मामला है जिसमे एक व्यक्ति या संभवतः कोई एक पूरा गैंग लखनऊ और उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में किडनी तथा अन्य अंगों के खरीद-फरोख्त का अत्यंत कुत्सित और हानिपरक व्यापार कर रहा दिखता है. प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए निवेदन है कि इस मामले में बिना किसी भी प्रकार का विलम्ब किये और बिना अकारण किसी तकनीकी उलझन में उलझे मामले में एफआईआर दर्ज करते हुए प्रस्तुत किये जा रहे साक्ष्यों को आगे बढाते हुए कथित अनुराग जोशी और उस पूरे गैंग का अनावरण किया जाए और इस अत्यंत घृणित कार्य में संलिप्त लोगों को बेनकाब करते हुए मानव सेवा का यह अत्यंत पुनीत कार्य अतीव तीव्रता से सम्पादित किया जाए.
उपरोक्त के दृष्टिगत पुनः निवेदन है कि तत्काल एफआईआर दर्ज कर अग्रिम कार्यवाही करने की कृपा करें.
पत्र संख्या- AT/Kidney/01
दिनांक-
13/05/2014                                      भवदीय,

                                                                                                                                                (अमिताभ ठाकुर)
                                                                                                                                                5/426, विराम खंड,
                                                      गोमती नगर, लखनऊ

                                                                                                                                                # 094155-34526

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