Thursday, May 15, 2014

Letter to DGP about non-registration of FIRs



सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- विभिन्न थानों में मेरे एफआईआर दर्ज नहीं होने विषयक  
महोदय,
      कृपया निवेदन है कि मैं आपके सम्मुख दो ऐसे प्रकरण प्रस्तुत कर रहा हूँ जिनमे मेरे द्वारा सम्बंधित थाने में प्रार्थनापत्र देने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं किया गया.
पहले मामले में मैंने अपने पत्र संख्या- AT/UPTU/Tender  दिनांक-21/04/2014  द्वारा उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) में कथित अनियामिताओं के सम्बन्ध में धारा 154(1) सीआरपीसी के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु एक प्रार्थनापत्र थाना जानकीपुरम पर प्रस्तुत किया था  जिसकी प्राप्ति मुझे नहीं कराई गयी थी, ना एफआईआर दर्ज किया गया. मैंने एसएसपी लखनऊ को धारा 154(3) सीआरपीसी में एफआईआर दर्ज करने हेतु दिनांक-22/04/2014  को पत्र भेजा लेकिन उस पर भी अब तक एफआईआर दर्ज करने की कार्यवाही नहीं की गयी है.
दुसरे मामले में मैंने
अपने पत्र संख्या- AT/Kidney/01 दिनांक- 13/05/2014 द्वारा  एक कथित किडनी रैकेट के सम्बन्ध में विस्तार से तथ्य प्रस्तुत करते हुए एफआईआर दर्ज करने हेतु थानाध्यक्ष गोमतीनगर को प्रार्थनापत्र दिया था लेकिन प्रार्थनापत्र के अनुसार संज्ञेय अपराध बनने के बाद भी थानाध्यक्ष ने एफआईआर दर्ज नहीं किया बल्कि उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस प्राप्ति रसीद शिकायती प्रार्थनापत्र संख्या 5432 दिनांक 13/05/2014 दिया.. थानाध्यक्ष ने तुरंत कोल्ड ड्रिंक के आदेश दिए, जिसे मैंने मना किया और यह कहा कि यदि वास्तव में मेरे लिए कुछ करना चाहते हैं तो यह एफआईआर दर्ज कर लें. फिर भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई,  हाँ, कोल्ड ड्रिंक मना करने के बाद भी आम का पना मिल गया. मैंने एसएसपी लखनऊ को उनके सरकारी मोबाइल नंबर 094544-00290 पर समय 13.36 पर फोन करके भी निवेदन किया. मैंने आज एसएसपी लखनऊ को धारा 154(3) सीआरपीसी में एफआईआर दर्ज करने हेतु प्रार्थनापत्र भेजा है. आज प्रातः हिंदुस्तान अख़बार में पृष्ठ सात पर निकली खबर में पढ़ा कि थानाध्यक्ष ने बताया कि यह प्रकरण साइबर सेल को दिया गया है, अभी यह पता किया जाएगा कि कहीं यह किसी की शरारत तो नहीं है. अमर उजाला समाचारपत्र के माई सिटी पृष्ठ पर छपी खबर के अनुसार थानाध्यक्ष गोमतीनगर ने कहा है कि साइबर सेल से जांच कराई जायेगी और मोबाइल नंबर के बारे में पड़ताल की जा रही है. मेरी जितनी क़ानून की जानकारी है, उसके अनुसार यह सारा कार्य एफआईआर दर्ज करने के बाद किया जाता है और यह वस्तुस्थिति विधिक प्रावधानों के पूर्णतया विपरीत है.
शासन तथा आपके स्तर से जो बार-बार यह निर्देश निर्गत किया जाता है कि एफआईआर तत्काल दर्ज किया जाये, इन उदाहरण से ऐसा प्रतीत होता है कि संभव है उसकी व्यापक अवहेलना हो रही हो. मैं सामाजिक और प्रशासनिक रूप से प्रतिष्ठित स्थान पर हूँ और यह तथ्य ये सभी सम्बंधित अधिकारी भी जानते हैं. ऐसे में एक सामान्य अनुमान लगाता हूँ कि जो व्यक्ति साधारण हैसियत का हो, उसका एफआईआर दर्ज कराये जाने में क्या स्थिति बनती होगी.
मेरा निवेदन है कि चूँकि शासन और आपके स्तर पर यह निश्चित किया जा चुका है कि प्रत्येक एफआईआर तत्काल दर्ज किया जाए तो सम्बंधित अधिकारियों द्वारा इसका प्रत्येक दशा में अनुपालन अवश्य होना चाहिए. यदि एफआईआर गलत पायी जाये तो सम्बंधित वादी के विरुद्ध कार्यवाही हो अथवा मामले को समाप्त कर दिया जाए पर एफआईआर दर्ज करते समय यह भेदभाव नहीं किया जाए कि किस मामले में एफआईआर दर्ज होनी है और किस में नहीं, क्योंकि इससे कानून की पूरी मंशा पर ही प्रश्नचिह्न लग जाता है. यदि कोई इन आदेशों की अवहेलना करता है तो वह सम्बंधित अधिकारी सेवा नियमों के अधीन निश्चित रूप से दण्डित होना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर ये महत्वपूर्ण निर्देश स्वतः ही बेमानी होने लगते हैं.
अतः आपसे निवेदन करूँगा कि चूँकि आप स्वयं चाहते हैं कि
मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य (रिट याचिका क्रिमिनल संख्या 68/2008) में पारित आदेश, जिसके अनुसार प्रत्येक एफआइआर दर्ज करना अनिवार्य हो गया है, का पूर्ण अनुपालन हो, अतः इन दोनों प्रकरणों में एफआइआर दर्ज नहीं करने के सम्बन्ध में उत्तरदायित्व निर्धारित कराये जाने की कृपा करें और जो भी उत्तरदायी पाया जाता है, उसे नियमानुसार कठोरतम दंड देते हुए इसे एक नजीर के रूप में प्रस्तुत करने की कृपा करें ताकि इस प्रकार के दृष्टान्तों की कोई भी पुनरावृत्ति नहीं हो सके और मा० सर्वोच्च न्यायालय, शासन और आपकी मंशा के अनुरूप सभी एफआईआर तत्काल दर्ज हो कर उनकी गुण-दोष के आधार पर विवेचना हो सके.  साथ ही पुनः निवेदन है कि तत्काल एफआईआर दर्ज नहीं करने पर की गयी कार्यवाही के सम्बन्ध में भी उत्तरदायित्व नियत करने की एक स्पष्ट नीति निर्गत करने की कृपा करें ताकि इस जटिल समस्या का वास्तविक समाधान हो सके.
पत्र संख्या- AT/Kidney/01                                 भवदीय,
दिनांक-
14/05/2014                                     
                                                                                                                                                (अमिताभ ठाकुर)
                                                                                                                                                5/426, विराम खंड,
                                                      गोमती नगर, लखनऊ
                                                     
# 094155-34526
                                                                                                                               

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