Wednesday, August 27, 2014

Accused arrested in cousin sister indecent SMSs case

Accused arrested in cousin sister indecent SMSs case

In the case of persistent offensive phone calls and 15-20 indecent SMSs to my cousin, Women Helpline (1090) today arrested the accused Prabhat Kumar Rai son of Anand Kumar Rai of South Humayunpur, Alinagar, Gorakhpur. Prabhat Rai is a 4th year mechanical student in BBD engineering College. A friendship band in the name of the girl was also found with him.

I went to 1090 office and personally made a preliminary enquiry in this matter and am fully satisfied with the work of 1090 and thank them for the same.

In this case, an FIR No 478 of 2014 under sections 354D (stalking, with punishment up to 3 years), 507 (Criminal intimidation by an anonymous communication, punishment up to 2 years ) and 509 (Word, gesture or act intended to insult the modesty of a woman – punishment up to 1 year) IPC has been registered on my  application in Chinhat police station after I had talked to DIG Lucknow.

The SMSs sent were extremely dirty and vulgar and some of them threatening and frightening which talked to calling the victim’s father, making forceful assaults and committing bodily harms to done to the victim in case she did not agree to the wishes of the accused. 


फुफेरी बहन अभद्र कॉल मामला: अभियुक्त गिरफ्तार 

मेरी फुफेरी बहन, जो लखनऊ में इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्रा है और कॉलेज के सामने बने एक  हॉस्टल में रहती है, को तीन-चार दिनों तक एक अनजाने फोन नंबर से कॉल आने और 15-20 बहुत ही गंदे एसएमएस भेजे जाने के बारे में दर्ज एफआईआर में आज 1090 (महिला हेल्पलाइन) ने अभियुक्त प्रभात कुमार राय पुत्र आनंद कुमार राय निवासी दक्षिण हुमायूँपुर, अलीनगर, गोरखपुर को गिरफ्तार कर लिया. प्रभात राय बीबीडी इंजिनीयरिंग कॉलेज में मेकेनिकल चौथे वर्ष का छात्र है.

मैंने स्वयं 1090 कार्यालय जा कर मामले में प्राथमिक तहकीकात की और 1090 की विवेचना और उनके कार्यों से पूरी तरह संतुष्ट हुआ जिसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूँ.

इस मामले में डीआईजी लखनऊ को कहने के बाद मेरे प्रार्थनापत्र के आधार पर थाना चिनहट में एफआईआर संख्या 478/2014 धारा  354घ (पीछा करना/स्टाकिंग- 3 साल तक की सजा), 507 (अज्ञात संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास- 2 साल की सजा), 509 (स्त्री की लज्जा का अनादर करने हेतु शब्द का कार्य- 1 साल की सजा) आईपीसी दर्ज किया गया था

जो मैसेज भेजे गए थे वे बहुत ही घटिया और गंदे थे और कुछ में सीधी धमकी दी गयी थी जैसे- देख अब तेरा बाप तुझे कैसे कॉलेज छुड़वाता है, तेरे बाप का नंबर मिल गया है अब देख तेरे इज्जत उतार दूंगा 10 मिनट में, हाँ या ना रिप्लाई कर आदि.



Amitabh Thakur
# 094155-34526

Saturday, August 16, 2014

Chronology of events in indecent Phone-calls to cousin case

Chronology of events in my cousin's indecent Phone-call case:

14/08/2014- 12 noon- My cousin tells me about abusive, improper messages and phones. The SMSs are extremely vulgar, dirty. Some of them are very threatening in nature. She tells she has got 15-20 such SMSs and phone calls day and night. She tells she phoned 1090 (Women helpline) twice on 11/08 and 13/08 but nothing happened. She is feeling very threatened and is weeping a lot. I give her strength and assure her strong action
14/08/2014- around 4 PM- send written complaint to SSP Lucknow
14/08/2014- around 5 PM- talk to SSP Lucknow, SHO Chinhat, both assure FIR and immediate action
14/08/2014- 7 PM- visit Chinhat police station with wife and victim- assure registration of FIR and action
14/08/2014- around 7.30 PM- call CO Chinhat Sri Ashok Kumar, he assures immediate action, says he served with me when I was SP Sant Kabir Nagar
15/08/2014- around 2PM- DIG/IG Sri Navniet Sekera calls me, says I should have contacted him instead of SSP, sends Sri Raghvendra Singh, incharge 1090, I request for FIR as well which he assures
15/08/2014- around 3 PM- Sri Raghvendra Singh comes to my house, give a copy of complaint, assures action
16/08/2014- morning- Get feedback from the victim about 1090 response
16/08/2014- around 06 PM- no FIR registered so far, no policeman from Chinhat visits the victim

I got DIG's call because of being a senior IPS officer. Sri Raghvendra visited me because of the same reason. I shudder to think what would be happening in cases where a relative in not a senior IPS officer or some other socially well-place person.

Is this the kind of concern and zero-tolerance towards women-related crimes that we have been hearing about on and off?
Tomorrow I will meet IG Zone Sri Subhash Chandra with a hope that action will finally be taken at his end. 

फुफेरी बहन को अभद्र फोन कॉल मामले में घटनाक्रम:

14/08/2014- 12 दोपहर- मेरी फुफेरी बहन ने मुझे अत्यंत अभद्र, गंदे मैसेज और फोन के बारे में बताया. भेजे गए एसएमएस अत्यंत ही गंदे, घटिया हैं, कुछ एसएमएस बेहद धमकी भरे हैं. वह बताती है कि अब तक 15-20 इसे एसएमएस आ चुके हैं. यह भी बताती है कि 1090 (महिला हेल्पलाइन) को दो बार  11/08और 13/08 को फोन किया पर कुछ भी नहीं हुआ. वह बहुत डरी हुई है और काफी रो रही है. मैं उसे हिम्मत दिलाता हूँ और कठोर कार्यवाही का भरोसा देता हूँ.
14/08/2014-लगभग 4 शाम- एसएसपी लखनऊ को लिखित शिकायत भेजा
14/08/2014- लगभग 5 शाम- एसएसपी लखनऊ और इन्स्पेक्टर चिनहट से फोन पर वार्ता, दोनों का एफआईआर और कठोर कार्यवाही का आश्वासन
14/08/2014- 7 शाम- पीडिता और पत्नी के साथ चिनहट थाना गया- थाने पर एफआईआर का आश्वासन
14/08/2014- लगभग 7.30 बजे- सीओ चिनहट श्री अशोक कुमार को फोन, तत्काल कार्यवाही का आश्वासन, मेरे साथ मेरे एसपी संत कबीरनगर तैनाती में रहना बताया
15/08/2014- लगभग 2 बजे- डीआईजी/आईजी श्री नवनीत सिकेरा का फोन, कहा एसएसपी की जगह मुझे बताना था, 1090 इंचार्ज श्री राघवेन्द्र सिंह को भेजने की बात कही, मैंने एफआईआर के लिए कहा तो तत्काल आश्वासन 
15/08/2014- लगभग 3 बजे- श्री राघवेन्द्र सिंह घर आये, शिकायत की प्रति दी, कार्यवाही का भरोसा
16/08/2014- प्रातः- बहन ने 1090 पर कुछ सक्रियता के बारे में बताया
16/08/2014- लगभग 06 शाम- अब तक कोई एफआईआर नहीं, चिनहट थाने से कोई पुलिसवाला पीडिता से मिला तक नहीं 

मुझे डीआईजी का कॉल इसीलिए मिला क्योंकि मैं वरिष्ठ आईपीएस अफसर हूँ. श्री राघवेन्द्र उसी कारण मेरे पास आये. मैं यह सोच कर घबरा रहा हूँ कि उन लोगों का क्या होता होगाजिसके घर में आईपीएस या सामाजिक प्रभावशाली व्यक्ति नहीं होते होंगे.

क्या यही वह महिला अपराधों के विषय में तत्परता और जीरो टोलेरेंस नीति है जिसकी हम कई बार चर्चा सुनते हैं?
कल आईजी ज़ोन श्री सुभाष चंद्रा से मिलूँगा, इस उम्मीद के साथ कि वहां अवश्य कार्यवाही होगी.

Amitabh Thakur
# 094155-34526

Tuesday, August 12, 2014

Satish Shetty case will be soon closed in pressure: Brothers had told me



Satish Shetty case will be soon closed in pressure: Brothers had told me beforehand

I Amitabh Thakur, an IPS officer (UP Cadre) by profession, also working in field of transparency and accountability in Public life, present an important information brought to my notice in public domain for the sake of justice and for larger public interest.
RTI activist Satish Shetty’s brothers Sandip living in Pune and Santosh, living in USA had contacted me on phone and email in the beginning of July 2014. Santosh had sent me an email dated 03 July 2014 where he had apprehended closure of the murder case. He said “Without public support this case will be closed within the next one year. I am pleading to people like to help and guide us.”
Later Sandip told me on phone that the investigating officer (IO) of the Satish Shetty murder case, S P Singh from CBI, had told him that he is being put under tremendous pressure from senior officers of CBI to file a closure report in the case in the next few days but he is finding it very difficult to follow this dictate because there are enough evidence on record to charge sheet the accused. 

Sandip also told me that S P Singh told him that a few senior CBI officers were doing so for huge money and very soon a closure report would be filed. 

Again on 10 August (Sunday), both Santosh and Sandip called me on phone and told me that they have known from the IO that CBI shall file the closure report on Monday (11 August). They called me to Pune, where today I was witness to an irrefutable evidence which talked of the investigating officer lamenting about the improper pressure built on him by certain senior CBI officers under influence of money, to an extent that the IO was thinking of resigning from the service and taking up the cause.  

Considering the extremely serious nature of these facts, I am also bringing them to the notice of the Prime Minister of India for appropriate action. 

दवाब में शीघ्र बंद होगा सतीश शेट्टी केस: भाईयों ने मुझे पहले ही कहा था
मैं, अमिताभ ठाकुर, पेशे से एक आईपीएस अफसर हूँ और इसके साथ पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भी काम करता हूँ. मैं यहाँ एक महत्वपूर्ण तथ्य न्यायहित तथा व्यापक जनहित में अपनी व्यक्तिगत हैसियत में सार्वजनिक पटल पर प्रस्तुत कर रहा हूँ.
आरटीआई कार्यकर्ता सतीश शेट्टी के भाईयों, पुणे स्थित संदीप और यूएसए स्थित संतोष ने मुझे जुलाई 2014 के प्रारंभ में संपर्क किया था. संतोष ने मुझे 03 जुलाई 2014 को एक ईमेल भेजा था जिसमे लिखा था-“बिना जनसहयोग के यह केस अगले एक साल में बंध हो जाएगा. मैं आप जैसे लोगों से मदद और दिशानिर्देश के लिए संपर्क कर रहा हूँ.”
फिर जुलाई के पहले सप्ताह में ही संदीप ने मुझे फोन से बताया था कि सतीश शेट्टी हत्याकांड में सीबीआई के विवेचक एस पी सिंह ने उन्हें बताया है कि सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी उन पर बहुत भारी बेजा दवाब बना रहे हैं कि वे अगले कुछ दिनों में ही इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट भेज दें. उन्होंने कहा था कि विवेचक ऐसा करने में काफी दिक्कत महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनके पास मामले में अभियुक्तों के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु काफी साक्ष्य हैं.
संदीप ने मुझे बताया था कि एस पी सिंह ने उन्हें कहा था कि कुछ बहुत वरिष्ठ सीबीआई अफसर भारी पैसे के दवाब में ऐसा कर रहे हैं और उन्हें बाध्य हो कर मामले में क्लोजर रिपोर्ट प्रेषित करना पड़ेगा.
पुनः 10 अगस्त (रविवार) को संतोष और संदीप ने मुझसे फोन पर संपर्क कर कहा कि उन्हें सीबीआई के विवेचक से ज्ञात हुआ है कि सीसीआई सोमवार (11 अगस्त) को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करेगी. उन्होंने मुझे मदद के लिए पुणे बुलाया जहां आज मैं ऐसे साक्ष्य से रूबरू हुआ जिसमे विवेचक की व्यथा साफ़ दिख रही है और सीबीआई के वरिष्ठ अफसरों द्वारा भारी पैसा ले कर उन पर दवाब बनाए जाने और इस दवाब के कारण विवेचक द्वारा दुखी हो कर त्यागपत्र तक देने का मन बनाने की बातें इस साक्ष्य में सामने आती हैं.
इन तथ्यों की गंभीरता के दृष्टिगत मैं इन्हें प्रधानमंत्री को अवगत करा रहा हूँ ताकि मामले में जांच कर आवश्यक कार्यवाही हो सके.


Amitabh Thakur
Presently at Pune
# 094155-34526

Thursday, August 7, 2014

FIR finally registered in Brazilian NRI cheating case

FIR finally registered in Brazilian NRI cheating case

An FIR No 216 of 2014 under sections 419, 420, 467, 468, 471 IPC has finally been registered on my application in Kakadeo police station, Kanpur about cheating and misappropriation of US$ 30289 (approx 18.25 lakh rupees) from a retired Indian Gauri Shankar Prakash residing in Brazil. The FIR has been registered against Vikram Hans, ex CMD and Praveen Singh present MD of Uttar Pradesh Industrial Consultants Limited (UPICO), Kanpur.

The FIR accuses UPICO of refusing the legitimate claims of Gauri Shankar, who along with Brazilian national Marco Antonio Torres Carvalho worked for UPICO during December 2008 to April 2009 spending their personal money on the official directions of A K Bhatnagar, then CMD, UPICO and swindling the money through forgery in the accounts and the balance sheet.

I had given this application on 20 June and had talked to SHO Kakadeo and SSP Kanpur Nagar who had assured immediate registration of FIR. But instead the application was sent for enquiry after which the FIR has been registered. This is completely contrary to the rules and hence I have written to DGP, UP seeking action against all those responsible for this delay because I am of the strong opinion that registration of each FIR is a legal right and it needs to be done without any discrimination in every case.


एनआरआई से धोखाधड़ी मामले में अंततोगत्वा एफआईआर दर्ज

उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल कंसल्टेंट्स लिमिटेड (यूपीको), कानपुर के कुछ अफसरों द्वारा अभिलेखों में हेराफेरी कर ब्राजील में रह रहे एक रिटायर्ड भारतीय गौरी शंकर प्रकाश के 30289 यूएस डॉलर (18.25 लाख रुपये) हड़पे जाने के सम्बन्ध में मेरे प्रार्थनापत्र पर अंततोगत्वा थाना काकादेव में एफआईआर संख्या 262/2014 धारा 409, 420, 467, 468, 471 आईपीसी दर्ज किया गया है. मामले में विक्रम हंस, पूर्व सीएमडी और प्रवीण सिंह, मौजूदा एमडी अभियुक्त बनाए गए हैं.

प्रार्थनापत्र में गौरी शंकर द्वारा ब्राजील निवासी मार्को अंतोनियो टोर्रेस कार्वाल्हो के साथ मिल कर दिसंबर 2008 से अप्रैल 2009 के बीच यूपीको द्वारा ब्राजील में कराये गए कार्यक्रम में शोरूम, वेयरहाउस आदि पर एके भटनागर, सीएमडी यूपीको के आदेश पर किये गए खर्च के बिल का भुगतान नहीं करने और इसके लिए अभिलेखों और बहीखाते में कूटरचना करने के आरोप लगाए गए थे.

मैंने यह प्रार्थनापत्र 20 जून को दिया था और एसएसपी कानपुर नगर और थाना प्रभारी काकादेव से व्यक्तिगत बात की थी जिन्होंने तत्काल एफआइआर का आश्वासन दिया था. लेकिन एफआईआर दर्ज करने की जगह मामले को जांच में भेज दिया गया और अब जांच में संस्तुति के बाद ही यह एफआईआर दर्ज हो सका है. मैंने इतने विलम्ब से एफआईआर दर्ज किये जाने के सम्बन्ध में डीजीपी यूपी को पत्र लिख कर विलम्ब से एफआईआर लिखने के लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है क्योंकि मेरा यह दृढ मत है कि प्रत्येक नागरिक को अपना एफआईआर दर्ज कराने का कानूनी अधिकार है और इसका बिना भेदभाव के पालन होना चाहिए


Copy of FIR--



सेवा में,
प्रभारी निरीक्षक,
थाना काकादेव,
जनपद- कानपुर नगर 

महोदय,
       मैं अमिताभ ठाकुर वर्तमान में आईजी/संयुक्त निदेशक, नागरिक सुरक्षा, उत्तर प्रदेश लखनऊ के पद पर तैनात हूँ और आपके समक्ष उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल कंसल्टेंट्स लिमिटेड (यूपीको), कानपुर पता 5वां तल, कबीर भवन, जीटी रोड, सर्वोदय नगर, थाना काकादेव, कानपुर- 208002 (फोन नंबर 0512-2216135, 2213596 फैक्स- 0512-2242719, वेबसाइट http://www.upico.org/) से जुड़ा एक गंभीर प्रकरण प्रस्तुत कर रहा हूँ जो मुझे मेरे एक परिचित वर्तमान में ब्राजील में निवास कर रहे श्री अमिताभ रंजन द्वारा अवगत कराया गया.
श्री अमिताभ रंजन ने विभिन्न तिथियों में अपने ईमेल
missionamitabh@yahoo.com से मुझे मेरे ईमेल amitabhthakurlko@gmail.com पर एक श्री गौरी शंकर प्रकाश पीरुपल्ले (ईमेल gourisankarprakash@ig.com.br) से जुड़ा प्रकरण बताया.  श्री गौरी शंकर जमशेदपुर, झारखण्ड से रिटायर हो कर 1978 से ब्राजील में बसे हुए हैं.
इन ईमेल के अनुसार दिसंबर
2008 से अप्रैल 2009 के मध्य यूपीको ने ब्राजील में कुछ कार्यक्रम आयोजित किये. इस कार्यक्रम हेतु पैसा भारत सरकार के कॉमर्स मंत्रालय द्वारा वहां किया जाना था. भारत सरकार के निर्देशों और सहयोग के बल पर यूपीको ने ब्राजील में यह वृहद् कार्यक्रम आयोजित किया जिनमे शोरूम, वेयरहाउस तथा अन्य तमाम खर्चे के लिए यूपीको की ओर से जार्डिम, साओ पाउलो, ब्राजील के निवासी श्री मार्को अंतोनियो टोर्रेस कार्वाल्हो नियत किये गए थे. श्री कार्वाल्हो ने अपने स्तर से यूपीको की जानकारी और सहमति से श्री गौरी शंकर प्रकाश को इस कार्य में अपना सहयोगी बनाया और इस प्रकार श्री प्रकाश और श्री कार्वाल्हो ने मिल कर एक साथ यूपीको के लिए ब्राजील में काम किया और इस अवधि में यूपीको को विभिन्न प्रकार की सुविधा मुहैया कराई और इसमें अपने पैसे खर्च किये.
श्री कार्वाल्हो ने अन्य बातों के अलावा श्री फ्रांसिस्का नेलिडा ओस्त्रोविच्ज़, निवासी अवेनिदा एंजेलिका, ब्राजील के साथ दिनांक
01/02/2008 को श्री ओस्त्रविच्ज़ के मकान का लीज एग्रीमेंट किया. इसके अतिरिक्त इस पूरी अवधि में श्री कार्वाल्हो के कई अन्य खर्चे भी हुए. मुझे जो बिल भेजे गए हैं उनमे दिसंबर 2008 से अप्रैल 2009 के 5 महीने के बिजली, प्राकृतिक गैस, वीआईपी होटल बिल, ऑफिस रेंट, टेलेफोन, इन्टरनेट, पेट्रोल, कार पार्किंग, ऑफिस सामग्री, पार्सल आदि के साथ श्री गौरी शंकर प्रकाश के फीस सम्मिलित हैं. इन बिल के साथ तमाम ऐसी रसीदें संलग्न हैं जो श्री प्रकाश की बात को पुख्ता करती हैं.
श्री कार्वाल्हो और श्री गौरी द्वारा श्री परवेज़ अहमद, तत्कालीन कंसल्टेंट को संयुक्त रूप से भेजा गया पत्र दिनांक
16/04/2009 इस हेतु विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिसमे दोनों ने सामूहिक रूप से अवगत कराया है कि कुल 58,750.76 डॉलर श्री कार्वाल्हो के एकाउंट में ट्रांसफर किया जाना था जिसमे श्री कार्वाल्हो और श्री गौरी शंकर द्वारा परस्पर सहमति से श्री कार्वोल्हा के 16,539.43 डॉलर तथा श्री गौरी शंकर प्रकाश के 42,211.33 डॉलर हैं.
इसके बाद श्री गौरी शंकर ने ना जाने कितनी ही बार यूपीको के अधिकारियों को पत्र और ईमेल द्वारा ब्राजील शोरूम एवं वेयरहाउस पर दिसंबर
2008 से अप्रैल 2009 के बीच किये गए उनके खर्च के विषय में अवगत कराया पर यूपीको ने तब से अब तक श्री गौरी शंकर के पैसे देने से मना किया है, जबकि तथ्यात्मक स्थिति यह है कि इस प्रोजेक्ट के लिए कॉमर्स मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा काफी पहले ही आवश्यक फंड रिलीज़ हो चुका है. श्री गौरी शंकर बार-बार यह लिख रहे हैं कि उन्होंने अपने जेब से पैसे खर्च किये थे, ब्राजील में उन्हें इसके लिए काफी ब्याज दर देना पड़ रहा है लेकिन यूपीको इसे पूरी तरह नज़रंदाज़ कर रहा है.
श्री गौरी शंकर का कहना है कि फ़रवरी
2009 में यूपीको के पूर्व एमडी श्री ए के भटनागर (फोन नंबर 09873187789) की जगह श्री विक्रम हंस नए सीएमडी बने और उनके आश्वासन पर भी श्री गौरी शंकर ने बदस्तूर अप्रैल तक अपना काम जारी रखा था. श्री गौरी शंकर ने अपने इन ईमेल में कहा कि श्री विक्रम हंस ने उन्हें वादा किया था कि जुलाई 2009 तक प्रत्येक दशा में उनका पैसा मिल जायेगा. इसके बाद श्री गौरी शंकर लगातार ईमेल और श्री विक्रम हंस के फोन नंबर 09984296555 पर संपर्क करते रहे पर उन्हें अपना पैसा आज तक नहीं मिला जबकि कॉमर्स मंत्रालय ने  जुलाई 2009 में ही ब्राजील प्रोजेक्ट की धनराशि रिलीज़ कर दी थी.  
मैंने इस सम्बन्ध में श्री विक्रम हंस, पूर्व सीएमडी और श्री प्रवीण सिंह, वर्तमान सीएमडी से भी बात की लेकिन उससे कोई नतीजा नहीं निकला. उन दोनों ने कहा कि श्री गौरी शंकर का दावा झूठा और गलत है और उसमे कोई दम नहीं है. उन्होंने कहा कि ब्राजील प्रोजेक्ट के लिए प्राप्त पूरी धनराशि का ऐडजस्टमेंट हो गया है और अब इसमें कोई बात शेष नहीं है. उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में उनके रिकार्ड्स में श्री गौरी शंकर प्रकाश का कोई भी क्लेम नहीं है और इस प्रकार उनके क्लेम के सम्बन्ध में अब कोई भी चर्चा बेमानी है. उन दोनों की बात से ऐसा लग रहा था कि वे अब इस मुद्दे को पूरी तरह भूल जाना चाहते हैं.
इसके विपरीत श्री ए के भटनागर, पूर्व सीएमडी यूपीको, जिनके समय इस प्रकरण की शुरुवात हुई, ने मुझसे अपनी बातचीत में स्पष्टतया स्वीकार किया कि श्री गौरी शंकर के साथ ठगी की जा रही है, उन्होंने यूपीको के साथ काम किया था, उनका यूपीको पर पैसा बकाया है पर यूपीको उनका पैसा नहीं दे रहा. श्री भटनागर के अनुसार इसके मुख्य बात यह है कि यूपीको को कॉमर्स मंत्रालय से पैसा मिल गया है पर उन्होंने इसे गलत ढंग से इधर-उधर फर्जी खर्चा दिखा कर श्री गौरी शंकर के जायज खर्चे को देने से मना कर रहे हैं. श्री भटनागर ने मुझे बताया कि यूपीको के पूर्व सीएमडी श्री विक्रम हंस सहित कुछ सम्बंधित अधिकारियों ने मिल कर अपना बैलेंस शीट अपनी मर्जी से गलत-सही बना लिया और श्री गौरी शंकर को पैसा नहीं दिया. उन्होंने बताया कि इस मामले में यूपीको द्वारा फर्जी दस्तावेज़ बनाए गए हैं और इनके आधार पर श्री गौरी शंकर के वाजिब हक़ को दरकिनार किया जा रहा है.
श्री भटनागर ने मुझे इस सम्बन्ध में अपने ईमेल ak@monashlimited.com से भेजे कई मेल भी भेजे. इनमे दिनांक 08/08/2009  को श्री विक्रम हंस को भेजे मेल में यह बात स्पष्ट रूप से कहा. साथ ही इसमें अपने पूर्व ईमेल दिनांक 05/08/2009 में भी उन्होंने यह बात कही थी और यह भी बताया था कि इस हेतु सरकारी ग्रांट मिल चुका है. श्री भटनागर ने पुनः अपने मेल दिनांक 13/08/2009 द्वारा यह बात दुहराई थी. उन्होंने साफ़ कहा था कि यदि श्री गौरी शंकर प्रकाश का वाजिब बकाया नहीं दिया गया तो इसके लिए यूपीको जिम्मेदार होगा.
इसके अतिरिक्त श्री गौरी शंकर के ईमेल दिनांक 28/09/2009, 01/10/2009, 04/02/2011 की प्रति मेरे पास है जिनमे उनके द्वारा बार-बार कहा कि श्री विक्रम हंस से फोन नंबर 09984296555 पर बात करने और उनके व्यक्तिगत आश्वासन और के बाद भी उन्हें आज तक अपना पैसा नहीं मिला है. उन्होंने इन मेल में अपने R$ 42.211,33 + R$ 9.280,20 अर्थात R$ 51491,53 { बिना ब्याज } = 30289,14 यूएस डॉलर बकाये की मांग की है.
हाल में श्री अमिताभ रंजन के मेरे संपर्क में आने के बाद और मेरे द्वारा श्री गौरी शंकर प्रकाश की मदद करने का आश्वासन देने के बाद श्री गौरी शंकर ने अपने ईमेल दिनांक 14/06/2014 द्वारा मुझे इस सम्बन्ध में अग्रिम कार्यवाही किये जाने हेतु अधिकृत किया जिसके बाद मैं श्री गौरी शंकर के प्रकाश के R$ 51491,53 { बिना ब्याज } = 30289,14 यूएस डॉलर (जो वर्तमान डॉलर रुपये समतुल्य के अनुसार आज की तिथि को 18.25 लाख रुपये हुए) यूपीको के विभिन्न अधिकारियों द्वारा भारत सरकार से धन प्राप्त हो जाने के बाद भी छलपूर्वक हथिया लेने, इस हेतु अपने एकाउंट बुक में गलत खाता-बही का सृजन करने, कूटरचना, मिथ्या दस्तावेज़ की रचना करने और इस प्रकार सरकारी धन का गबन कर लेने के गंभीर अपराध के सम्बन्ध में यह प्रार्थनापत्र आपके सम्मुख एफआइआर दर्ज किये जाने हेतु प्रस्तुत कर रहा हूँ ताकि श्री गौरी शंकर प्रकाश जैसे एक वरिष्ठ नागरिक, जिन्होंने देश सेवा के जज्बे से ब्राजील में अपना खर्च कर ब्राजील प्रोजेक्ट में अपना पैसा और समय खर्च कर योगदान किया और इसके बदले उन्हें यूपीको, कानपुर के कुछ अधिकारियों द्वारा यूपीको, कानपुर में धोखा मिला, उनके साथ न्याय हो सके और इस मामले में अब तक जो गलत सन्देश जा रहा है उसका समापन हो सके.
निवेदन करूँगा कि श्री गौरी शंकर प्रकाश की ओर से समस्त तथ्य प्रस्तुत करने हेतु मैं निरंतर आपकी सेवा में उपस्थित रहूँगा.

पत्र संख्या-
AT/Brasil/01                                        भवदीय,
दिनांक
-20/06/2014
                                                              (अमिताभ ठाकुर )
                                                           
      5/426, विराम खंड,
                                                            गोमती नगर, लखनऊ

                                                                                                                                                                    # 94155-34526